About Sewa Samiti
सेवा समिति हरिद्वार
आज 92 वर्षों
से अपने परम पवित्र
उद्देय पर
सफलतापूर्वक असहायों
की सहायता, रोगियों
की चिकित्सा और
लावारिसों के दाह
संस्कार तथा खोये हुये
बच्चों व भूले भटकों
को उनक सम्बन्धितयों
से मिलाना,
एम्बुलैन्स और
नि:शुल्क शव वाहन का
संचालन, दो विशाल
धर्मशालाओं तथा महिला
शिल्प विद्यालय का
प्रबन्धन आदि कार्यों
द्वारा जनता की सेवा
कर रही है।
श्रीमान उदारसेवा
दानदाताओं को यह बात
विशेष रूप से जानने
योग्य है कि यह संस्था
श्रद्धालु दानदाताओं
के दिये दान से ही
चलती है और दानदाता
ही संस्था के प्राणा
है। अत: मैं विनीत शब्दों
में उन परोपकारी
धनी-मानी और मानव
कहलाने के अधिकारी
सज्जनों से अनुरोध
करता हूँ कि वह भगवती
भागीरथी श्री गंगा जी
के पुनीत तट पर सेवा
समिति (रजि0)
हरिद्वार के द्वारा
जनता-जर्नादन की सेवा
में अपना तन, मन, धन
लगाकर लोक-परलोक में
महान या प्राप्त
करें |
”सेवा समिति हरिद्वार“
की स्थापना ऐसी शुभ
घड़ी तथा नि:स्वार्थ
भाव से की गई कि इस
संस्था में
नित्य-प्रति नवरक्त
का संचार हुआ और आज
यह संस्था इतनी
महत्वाशली बन गई है
कि प्रतिवार् हजारों
निर्धन संकटग्रस्त और
दुखित पीड़ित व्यक्तियों
की सेवा सहातया एवं
कितने ही असहाय मृतकों
का दाह संस्कार करती
है, हरिद्वार में इस
संस्था को अद्वितीय
समाज-सेवा एवं सबसे
प्राचीन होने का गौरव
तथा सम्मान प्राप्त
है।
”सेवा समिति हरिद्वार“
की स्थापना का श्रेय
स्वर्गीय डाक्टर
पीताम्बर जी पंत तथा
स्व0 श्री महन्त
ज्ञानसिंह जी महाराज
को है। उनकी समाज सेवा
और परोपकार से आज भी
उनके अमर हैं क्योंकि
समाज सेवा और परोपकार
ही मनुय को अमरत्व पद
प्रदान करता है।
भारतीय संस्कृति में
जहां धर्म और पुण्य
की प्रांसा है वहां
जन-सेवा का महत्व भी
कम नहीं है। अत: जिस
प्रकार हम अपनी
धार्मिक वृत्तियों से
प्रेरित होकर
पुण्य-स्थलों में
तीर्थ व्रत आदि करते
हैं उसी प्रकार हमें
ऐसे स्थलों में मानवता
से प्रेरित होकर
परोपकार और जन-सेवा
करने से भी विमुख नहीं
रहना चाहिए।
अतएव हमारा कर्त्तव्य
है कि हम इस
धर्म-स्थल हरिद्वार
में
”सेवा समिति
(रजि0)“ द्वारा तन,
मन, धन से दीन-दुखी
तथा पीड़ितों की सेवा
सहातया करते हुए
पुण्य तथा समाज-सेवा
के भागी बनते रहे।
समाज सेवा मनुय का
धर्म है और ”तीर्थ
स्थल“ में कर्तव्य भी
यही है।
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